बेड़ियों से आज़ादी तक का सफ़र

 अनेक बंदिशें है जीने की दुनिया में,
हर चीज़ के नियम है समाज में,
मेरे जीने से लेकर मेरे सोचने तक के तरीक़े है बने,
मुझे क्या करना है और क्या नहीं करना यह भी बताता है ,
न जाने क्यों अब यह नयम, यह नज़रिये बोझ लगने लगे है,
एेसा लगता है कि इस समाज मे जीने के लिए मे ख़ुद से दूर जाती चली जा रही हूँ ,
काफ़ी महीनों से मुझे अनेक दिक्कत हो रही है ज़िंदगी में,

पर मे सब अपने अंदर सहती चली जा रही हूँ,
डर लगता है कि समाज क्या  सोचेगा मेरे बारे मैं,
अगर मे बाता दूँगी की मुझे मानसिक दिक़्क़तें है जीवन मैं ,
अगर मे इस बारे मैं किसी को कुछ कहा तो सब मेरा मज़ाक़ बनाएँगे, मुझे पागल या कमजोर कहेंगे ,
सोचेंगे की मैं नाटक कर रही हूँ या फिर मेरे साथ भेद-भाव करेगे,
इन सब चिजो से डरकर मैंने आज तक मदद नहीं माँगी और न ही शायद कभी हिम्मत होगी ,
समाज से लड़ने से डरती हूँ,

हाँ , पर मैं जानती हूँ की मानसिक रोगी के लिए अस्पताल जाना ग़लत नहीं है,
पर इस समाज की बेड़ों ने जकड़ा हुआ है मुझे,
और मैं समाज के अनेक रंगो मे डुबकर ख़ुद से और हक़ीक़त से दूर जाती चली जा रही हूँ ।
ये कुछ पक्तियाँ जो मानसिक स्वास्थ्य ख़ुद अपने बारे मैं बताते हुए कहा रहा है कि -
सिफ रोगों का खेल नहीं हूँ में,
चलो मेरे साथ तुझे  तुझसे से मिलवाता हूँ ,
बहुत कठोर बन लिए जीवन में तुमहे अब सबके दर्द महसूस करवाता हूँ,
कभी समाजीक व्यवहारों का मतलब बतलाता ,
तो कभी किसी संस्था की नियती बतलाता हूँ  में,

कभी रोज़ मरा के कष्ट सुनकर तुझे एक पाठ सिखलाता हूँ में ,
कभी अंधकार और खोखले पन से वापस हक़ीक़त में लाता हूँ में
कभी बुद्ध के संग भाव का अनोखा मेल बनाता हूँ,
कभी भ्रम और माया से दूर तुझे तुझसे में मिलवाता हूँ,
मात्र केवल एक रोग नहीं मैं, समाजिक, संस्था,
रोज़ मरा का जीवन मैं और अनेक जगह काम आता हूँ।

शायद इनको पढ़कर कुछ समझ पाए समाज मानसिक स्वास्थ्य के बारे मैं,
किसी को हिम्मत मिल जाए यह समाज की बेड़ियों को तोड़ने का,
और मानसिक स्वास्थ्य को भी जीवन का एक हिस्सा समझा जाए
और इस के ख़िलाफ़ जो भी ग़लतफ़हमी है समाज मैं वो दूर हो जाए ।

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Masters in Psychology, Delhi University Curious about Psychology, writer by expressivity ! Expression of human thoughts via words is one of the biggest achievements of mankind. "Run to rescue with love and peace will follow"- Joaquin Phoenix
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8 thoughts on “बेड़ियों से आज़ादी तक का सफ़र

  1. अति उत्तम । सभी को अपने मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने की ज़रूरत है ।

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