यह सफ़र कुछ इस तरह शुरू हुआ,
नये रास्ते, अंजान गलियाँ, अजनबी लोग और मैं|
हर तरफ़ था शोर , फिर भी कुछ ख़ामोशी सी लगी,
उन आवाज़ों , रास्तों और लोगों की कमी सी लगी|
मेरी आँखें सब कुछ देख रही थी ,
इन नज़रों में शायद हर अंजान चीज़ों से
परिचित होने की इच्छा थी या फिर ये भी नए शहर में कुछ पुराना
सा एहसास ढूँढ रही थी|
मैं अभी तक चुप थी,
एक ही जगह पर खड़ी थी,
सही रास्ते के इंतज़ार में या,
फिर आगे बढ़ने की हिम्मत ही नहीं थी|
ख़ुद को सम्भाला और आगे बढ़ गई,
हर एक एक क़दम के साथ मानो मैंने ख़ुद को जान लिया हो |
इन रास्तों ने मुझे एक से इंसान से मिलवाया जो,
हर समय मेरे साथ थी,
मेरे साथ ही रोती, हसँती, सोती थी,
मेरी मुसीबतें ही उसकी मसीबतें थी,
मेरा जीवन ही उसका जीवन था,
और वो इंसान थी मैं ख़ुद|
इस रफ़्तार से चलने वाली दुनिया में,
सबसे मिली पर ख़ुद से मिलना शायद भूल गई मैं |
ख़ुद से परिचित हुई तो रास्ता आसान लगा,
मंज़िल दुर थी, पर अपनी शक्ति पर विश्वास हुआ|
इस रास्ते पर चलते चलते मैनें ख़ुद से ही कितनी बातें कर ली,
अपनी ग़लतियों से सिखा, सफलताओं पर शाबाशी दी,
कुछ महत्वपूर्ण लोगों, यादों और जगह का स्मरण किया|
यह रास्ते अब तक अंजान ही थे,
पर शायद ख़ुद से परिचित होती गई मैं|
मंज़िले कहा थी,
उसका रास्ता क्या था, यह तो पता नहीं था,
बस चलते रहना है इस सफ़र पर यह पता था मुझे|
जो लड़की रास्ते को अंजान समझकर आगे बढ़ना ही नहीं चाहती थी,
उसने अपने एक क़दम आगे बढ़ने की हिम्मत से ख़ुद को खोज लिया था|
आज उसमें हिम्मत है हर रास्ते पर चलने की,
यह सफ़र अभी तक अधूरा है,
मंज़िलों की खोज अब तक चल रही है,
पर इस सफ़र ने जो मुझे ख़ुद से परिचित करवाया
वो इस सफ़र को अभी से ख़ास बना देती है|
मेरा रास्ता है,
जिसमें ख़ुशियाँ भी है और ग़म भी बस अंत अभी अंजान है|
यह सफ़र तो चल ही रहा है,
एक दिन शायद मंज़िल भी मिल जाए और मेरा यह अधूरा सफ़र पूरा हो जाए।
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Wah, bahut khub beta,..,👍👍
Thank you so much..
Very beautifully written… Kya Baat.
Thank you so much 🙂